Ayurvedic Treatment for Diabetes

डायबिटीज के लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

डायबिटीज या मधुमेह क्या है (Diabetes kya hai in Hindi)

डायबिटीज, जिसे मधुमेह भी कहा जाता है, एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपके शरीर में शुगर (ग्लूकोज) का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। यह तब होता है जब आपका शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या इसे सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता। इंसुलिन एक हॉर्मोन है जो आपके शरीर को खाने से मिलने वाली शुगर को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है।

डायबिटीज होने के कारण ( Diabetes hone ke kaaran in Hindi )

डायबिटीज होने के कई कारण हो सकते हैं, जो टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के प्रकारों में अलग-अलग होते हैं। टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें शरीर की इम्यून प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। इसके कारण शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बंद हो जाता है। टाइप 1 डायबिटीज के पीछे के कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन इसमें आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों की भूमिका हो सकती है।

टाइप 2 डायबिटीज मुख्य रूप से जीवनशैली और आनुवांशिक कारकों का परिणाम होता है। इसमें शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है या पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता। मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी, अस्वास्थ्यकर आहार, और परिवार में डायबिटीज का इतिहास टाइप 2 डायबिटीज के प्रमुख कारण हैं। विशेषकर मोटापा, जो शरीर में अतिरिक्त फैट जमा होने के कारण इंसुलिन के प्रभाव को कम करता है, इस प्रकार के डायबिटीज का मुख्य कारण माना जाता है।

इसके अलावा, कुछ विशिष्ट कारण भी डायबिटीज का कारण बन सकते हैं, जैसे कि कुछ दवाओं का उपयोग, हार्मोनल विकार, या पैंक्रियास की बीमारियाँ। गर्भकालीन डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण होती है और यह गर्भावस्था के बाद अक्सर ठीक हो जाती है, लेकिन भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ा देती है।

डायबिटीज या शुगर होने के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं: ( Diabetes hone ke pramukh lakshan in Hindi)

  1. बार-बार पेशाब आना: दिन और रात में बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होना।
  2. अत्यधिक प्यास लगना: लगातार और अत्यधिक प्यास लगना।
  3. अत्यधिक भूख लगना: लगातार भूख का महसूस होना, भले ही हाल ही में खाना खाया हो।
  4. वजन घटना: बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन कम होना।
  5. थकान: हमेशा थका-थका और कमजोर महसूस करना।
  6. धुंधली दृष्टि: देखने में धुंधलापन या स्पष्ट रूप से देखने में कठिनाई होना।
  7. घावों का धीमी गति से ठीक होना: कटने या चोट लगने के बाद घावों का धीरे-धीरे ठीक होना।
  8. त्वचा संक्रमण: त्वचा पर बार-बार संक्रमण होना, जैसे फंगल या बैक्टीरियल संक्रमण।
  9. हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्नता: हाथों और पैरों में झुनझुनी या सुन्नता महसूस होना।
  10. मूड स्विंग्स: मूड में अचानक बदलाव या चिड़चिड़ापन महसूस होना।

यदि आपको इन लक्षणों में से कोई भी अनुभव होता है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उचित जांच करवाएं। डायबिटीज का जल्द पता लगने और प्रबंधन से गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है।

शुगर का आयुर्वेदिक इलाज  ( Diabetes ka ayurvedic Ilaj)

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, आयुर्वेद में डायबिटीज  के उपचार में हर्बल दवाएं, पंचकर्म उपचार, इसकी विभिन्न प्रक्रियाएं (वमन, विरेचन, वस्ति, आदि) और कई अन्य शामिल हैं। हालाँकि, उपचार के लिए चुनी गई प्रक्रिया काफी हद तक उस स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करती है जिसका व्यक्ति सामना कर रहा है। इसके अतिरिक्त, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन उपचारों का उद्देश्य टाइप - 4 ग्लूकोज रिसेप्टर्स की इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाना है। परिणामस्वरूप, इंसुलिन प्रतिरोध कम हो जाता है और इसके स्राव का स्तर बढ़ जाता है, जिससे बीटा कोशिकाओं के पुनर्जनन में भी वृद्धि होती है।

शुगर लेवल कम करने का उपाय क्या है ( sugar level kam krne ka upaay )

ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए विभिन्न उपायों का पालन किया जा सकता है। यहां कुछ प्रभावी तरीके दिए गए हैं:

आहार में परिवर्तन

  1. संतुलित आहार: अपने आहार में साबुत अनाज, दालें, सब्जियाँ, फल, नट्स, और बीज शामिल करें। उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों से बचें।
  2. फाइबर युक्त भोजन: फाइबर युक्त भोजन खाने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। सलाद, हरी सब्जियाँ, और फलों का सेवन करें।
  3. प्रोटीन का सेवन: प्रोटीन युक्त आहार जैसे दालें, सोया, टोफू, मछली, और अंडे का सेवन करें।
  4. कम कार्बोहाइड्रेट: कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को नियंत्रित करें और रिफाइंड शुगर वाले खाद्य पदार्थों से बचें।
  5. नियमित भोजन: दिन में छोटे-छोटे अंतराल पर भोजन करें ताकि ब्लड शुगर लेवल स्थिर बना रहे।

ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए विभिन्न उपायों का पालन किया जा सकता है। यहां कुछ प्रभावी तरीके दिए गए हैं:

आहार में परिवर्तन

  1. संतुलित आहार: अपने आहार में साबुत अनाज, दालें, सब्जियाँ, फल, नट्स, और बीज शामिल करें। उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों से बचें।
  2. फाइबर युक्त भोजन: फाइबर युक्त भोजन खाने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। सलाद, हरी सब्जियाँ, और फलों का सेवन करें।
  3. प्रोटीन का सेवन: प्रोटीन युक्त आहार जैसे दालें, सोया, टोफू, मछली, और अंडे का सेवन करें।
  4. कम कार्बोहाइड्रेट: कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को नियंत्रित करें और रिफाइंड शुगर वाले खाद्य पदार्थों से बचें।
  5. नियमित भोजन: दिन में छोटे-छोटे अंतराल पर भोजन करें ताकि ब्लड शुगर लेवल स्थिर बना रहे।

शारीरिक गतिविधि

  1. नियमित व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि जैसे योग, वॉकिंग, जॉगिंग, स्विमिंग, या साइक्लिंग करें। इससे ब्लड शुगर लेवल कम करने में मदद मिलती है।
  2. योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। रोजाना कम से कम 30 मिनट योग का अभ्यास करें।

आयुर्वेदिक उपाय

  1. मेथी दाना: मेथी के दानों का पाउडर सुबह खाली पेट लेने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।
  2. करेला: करेले का जूस पीने से शुगर लेवल कम करने में मदद मिलती है।
  3. जामुन: जामुन और इसके बीज का पाउडर भी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में उपयोगी होता है।
  4. आमला: आमले का जूस या पाउडर भी ब्लड शुगर कम करने में मददगार है।
  5. नीम: नीम की पत्तियों का सेवन शुगर लेवल को नियंत्रित करता है।

 

शुगर की आयुर्वेदिक औषधि ( Sugar ki ayurvedic dawai)

ग्लुकोपॉज़ टैबलेट एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मधुमेह को प्रबंधित करने में मदद करती है। यह प्राकृतिक अवयवों जैसे सलासिया रेटिकुलाटा, जिमनेमा सिल्वेस्ट्रे, मॉमोरडिका चरंटिया और ट्रिगोनेला फोएम से बनी है। ये तत्व रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक होते हैं। इस टैबलेट को भोजन के बाद दिन में दो बार लिया जाता है। यह किसी भी कृत्रिम रंग, स्वाद या परिरक्षक से मुक्त है, जिससे यह सुरक्षित और प्रभावी बनती है।

ग्लुकोपॉज़ टैबलेट (Glucopause Tablet)

मुख्य सामग्री:

  • सलासिया रेटिकुलाटा (Salacia reticulata): 150mg
  • जिमनेमा सिल्वेस्ट्रे (Gymnema sylvestre): 50mg
  • मॉमोरडिका चरंटिया (Momordica charantia): 200mg
  • ट्रिगोनेला फोएम (Trigonella foenum): 250mg

लाभ:

  • रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करता है।
  • प्राकृतिक अवयवों से बना, बिना किसी कृत्रिम रंग, स्वाद या परिरक्षक के।

अधिक जानकारी और खरीद के लिए यहां क्लिक करें। ‘

FAQ

क्या आयुर्वेदिक डायबिटीज  उपचार के लिए  सुरक्षित हैं?

आयुर्वेदिक उपचार आमतौर पर प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और प्रक्रियाओं पर आधारित होते हैं, जो हजारों सालों से उपयोग में हैं। हालांकि, किसी भी चिकित्सा पद्धति की तरह, आयुर्वेदिक उपचार भी तभी सुरक्षित होते हैं जब इन्हें सही तरीके से और एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार लिया जाए।

क्या आयुर्वेद से डायबिटीज   ठीक हो सकता है?

आयुर्वेद में डायबिटीज  को प्रमेह के रूप में वर्णित किया गया है, और यह मूल रूप से एक चयापचय विकार है जो शरीर में ग्लूकोज को तोड़ने में असमर्थता के कारण होता है। भले ही डायबिटीज   का पूर्ण इलाज बहस का विषय है, लेकिन स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखकर आयुर्वेद में डायबिटीज  का इलाज संभव है। आपको स्वस्थ जीवन शैली जीने और डायबिटीज  को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा आयुर्वेदिक पूरक, समग्र शुद्धिकरण उपचार और उपचारात्मक मालिश दी जाती है।

डायबिटीज  के लिए कौन से खाद्य पदार्थ सुरक्षित हैं?

कुछ सब्जियाँ जैसे गोभी, गाजर, ब्रोकोली, पालक, प्याज, लहसुन, ककड़ी, सलाद, टमाटर, मूली, और चुकंदर, और खट्टे फल डायबिटीज  रोगियों के लिए बहुत अच्छे हैं। रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए आप साबुत अनाज, अंकुरित अनाज, छोले और आंवला, दालचीनी, हल्दी, मेथी, नीम, हरी चाय और एलोवेरा जैसे हर्बल आहार अनुपूरक का भी सेवन कर सकते हैं। फिर भी, विशेषज्ञों से परामर्श करने और आयुर्वेद में डायबिटीज  का उचित और सर्वोत्तम उपचार पाने के लिए आयुर्वेदग्राम में आपका हमेशा स्वागत है।

क्या प्रीडायबिटीज को आयुर्वेद से ठीक किया जा सकता है?

आयुर्वेद के अनुसार, प्री-डायबिटीज के लक्षणों में दन्तदीनम मलाध्यत्वम (मुंह की स्वच्छता में कमी), पाणि पदयोहो दहा (पैरों और हथेलियों में जलन), और चिक्कनता देहे (पूरे शरीर में चिपचिपापन महसूस होना) शामिल हैं। प्री-डायबिटीज के लक्षणों को ट्यूमरिक, आंवला, नीम के पत्ते, करी पत्ते जैसे हर्बल सप्लीमेंट और आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा निर्धारित प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।

Back to blog

Leave a comment

Please note, comments need to be approved before they are published.

1 of 3